आदि शंकराचार्य के सूत्र सिद्धांतों को विश्वभर में पहुंचाने का श्रेय शंकराचार्य विष्णुदेवानंद जी को जाता है – शंकराचार्य वासुदेवानंद जी
प्रयागराज, 11 दिसम्बर। भगवान आद्यजगद्गुरू शंकराचार्य मंदिर श्रीब्रह्मनिवास आलोपीबाग प्रयागराज में आयोजित नौ दिवसीय आराधना महोत्सव में अपने पूर्वाचार्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरूशंकराचार्य ब्रह्मलीन स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती की जयन्ती के पावन अवसर पर पूज्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने उनकी भव्य दिव्य पूजा आरती की। इस अवसर पर आयोजित परमपावन ग्रंथ गीता जयंती पर 51 विप्र-बटुकों द्वारा गीता का पूजा-पाठ कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
पूज्य शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती जी ने श्रीमद्भागवत कथा के पश्चात अपने आशीर्वचन में बताया कि मेरे पूर्वाचार्य शंकराचार्य श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर स्वामी विष्णुदेवानंद जी ने श्रीमज्ज्योतिष्पीठ विरोधियों के विरूद्ध श्रीमज्ज्योतिष्ठपीठ को कानूनी संरक्षण दिलाने एवं भगवान आदिशंकराचार्य द्वारा आदेशित सनातन वैदिक सूत्र व सिद्धांतों के प्रचार-प्रसार के लिए आजीवन संघर्ष किया। अपने जीवनकाल में ही पूज्यस्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती जी महाराज ने एक वसीयत लिखकर मुझे श्रीमज्ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य के नाम पद पर प्रतिष्ठित व अभिषिक्त करके आशीर्वाद दिया। श्रीमज्ज्योतिष्पीठोद्धारक जगद्गुरूशंकराचार्य ने अपनी लिखित वसीयत में पूज्य स्वामी शान्तानंद सरस्वती जी को श्रीमज्ज्योतिष्ठपीधीश्वर नामित कर दिया था। उनके ब्रह्मलीन होने पर श्रीमज्ज्योतिष्ठपीधीश्वर के नाम पद पर पीठासीन हुए स्वामी शान्तानंद जी महाराज ने अपने जीवनकाल में ही स्वामी ब्रह्मानंद जी की वसीयत में नामित प्रकार से स्वामी विष्णुदेवानंद जी को ज्योतिष्पीठाधीश्वर के नाम पद पर पीठासीन करके अपना आशीर्वाद दे दिया। पूज्य श्रीमज्ज्योतिष्ठपीधीश्वर शंकराचार्य स्वामी विष्णुदेवानंद सरस्वती जी की वसीयत के अनुसार ही पूज्य स्वामी शान्तानंद सरस्वती जी महाराज ने मेरा (दण्डी स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती का) 14/15 नवम्बर 1984 ई0 को श्रीमज्ज्योतिष्ठपीधीश्वर के नाम पद पर अभिषिक्त करके पट्टाभिषेक किया। मैं तब से निरन्तर श्रीमज्ज्योतिष्ठपीधीश्वर के रूप में गुरू के आदेश निदेश का पालन करते हुए ज्योतिष्पीठ का हर तरह से संरक्षण व सनातन वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार कर रहा हूँ।
प्रातःकाल 7ः00 बजे से मध्यान्ह 12ः00 बजे तक जयपुर राजस्थान से पधारे श्री प्यारे मोहन एवं उनके साथियों द्वारा नवान्ह श्रीरामचरितमानस गायन, अपरान्ह 2ः00 बजे से मध्य प्रदेश से पधारे व्यास पं0 ओमनारायण तिवारी द्वारा मनमोहक विद्वतापूर्ण श्रीसंगीतमय श्रीमद्भागवत कथारस की वर्षा की गई तथा सायं 7ः00 बजे से 9ः00 बजे तक भगवान मैदानेश्वर बाबा का भव्य रूद्राभिषेक कार्यक्रम हुआ, जो 15 दिसम्बर तक उपरोक्तानुसार चलता रहेगा। आज 12 दिसम्बर को पूर्वान्ह 11ः00 बजे त्रिवेणी बांध स्थित श्रीराम-जानकी मंदिर पाटोत्सव-पूजा कार्यक्रम होगा।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से दण्डी संन्यासी स्वामी विनोदानंद सरस्वती जी महाराज, दण्डी स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती, दण्डी संन्यासी ब्रह्मपुरी जी, ज्योतिष्पीठ संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्रधानाचार्य पं0 शिवार्चन उपाध्याय, आचार्य पं0 अभिषेक मिश्रा, आचार्य पं0 विपिनदेवानंदजी, आचार्य पं0 मनीष मिश्रा, श्री सीताराम शर्मा, अनुराग जी, दीप कुमार पाण्डेय आदि विशेष रूप से सम्मिलित रहे।
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