सैकड़ों मील दूर से नर्मदा से रिश्ता निभाने आई शिप्रा
उपासना डेस्क, नरसिंहपुर: नर्मदा की परिक्रमा करने तो सदियों से लोग देश के कोने कोने से यहां आ रहे हैं पर शायद ही कोई परिक्रमा करने के बाद यहां के लोगों की सुध लेने आता हो। शिप्रा उन सबसे अलग एक ऐसी नर्मदा भक्त हैं जो यहां उन लोगों के सुख दुख में शामिल होने आती हैं जिन्होंने परिक्रमा के दौरान उन्हें राह में आश्रय, अपनत्व दिया। यहां से करीब 500 किमी दूर बदायूं के दातागंज की निवासी शिप्रा यहां के हेमरा गांव में कमलेश के घर उनका दुख बांटने आई हुई हैं। कमलेश ने उन्हें नर्मदा परिक्रमा के दौरान अपनी बहन की तरह शरण दी थी। शिप्रा का कहना है कि वे हर उस परिवार के सुख दुख में शामिल होती रहेंगी जिन्होंने परिक्रमा पथ में उन्हें सहारा दिया।
कुलीन परिवार की उच्च शिक्षित युवती हैं शिप्रा
यूपी के बदायूं के दातागंज के कुलीन परिवार की बेटी शिप्रा पाठक अंग्रेजी से एमए हैं और एक ईवेंट कंपनी का संचालन भी करती हैं जो देश विदेश में कई बड़े काम करती है। उनकी दादी संतोष कुमारी चार बार दातागंज से विधायक रही हैं। पिता शैलेष पाठक भी राजनीति में सक्रिय रहे हैं। पर उनका मन अध्यात्म में रमता है। उनका नर्मदा और नर्मदा परिक्रमावासियों से इतना गहरा नाता हो गया है कि वे सब कुछ छोड़कर अपनों के बीच चली आती हैं। शिप्रा ने वर्ष 2018 में नर्मदा परिक्रमा की थी तब उन्हें कमलेश ने अपने घर में ठहराया था और उनके भोजन की व्यवस्था की थी। 28 वर्ष के कमलेश की कुछ समय पूर्व मृत्यु हो गयी। शिप्रा को जब इसकी जानकारी मिली तो वे उसका दुख बांटने यहां चली आईं। कमलेश की 6 महीने की एक बेटी है। शिप्रा प्रयास कर रही हंै कि कमलेश की पत्नी को कोई रोजग़ार मिल सके ताकि वो आत्म निर्भर बने और अपनी 6 महीने की बेटी का पालन पोषण कर सके। शिप्रा को लगभग हर महीने किसी न किसी अवसर पर नर्मदा खंड से निमंत्रण पहुंचता है और वे हर संभव प्रयास करती हैं कि कार्यक्रम में सम्मिलित हों।
मानसरोवर यात्रा से मिली नर्मदा परिक्रमा की प्रेरणा
शिप्रा ने वर्ष 2016 में मानसरोवर की यात्रा की थी । इस यात्रा के पूरे होने के साथ ही दैवीय शक्ति ने उन्हें नर्मदा यात्रा के लिए प्रेरित किया। जिसके बाद उन्होंने नर्मदा यात्रा की। शिप्रा ने बताया कि शुरु में डर लगता था कि अकेले एक लड़की कैसे यात्रा पूरी कर पाएगी लेकिन मां नर्मदा की कृपा से उन्होंने 3600 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। यात्रा के दौरान उनके सामने कई बार समस्याएं भी आईं लेकिन हर बार उनका मनोबल और मां नर्मदा का साथ उन्हें यात्रा कराता चला गया।
परिक्रमा पर लिखी है पुस्तक
शिप्रा ने अपनी परिक्रमा के अनुभव को लेकर एक किताब भी लिखी है जिसका विमोचन नर्मदा कुंभ जबलपुर में ग्वारी घाट के तट पर अतिशीघ्र किया जाएगा। शिप्रा की साधना के ऊपर एक मूवी भी बन रही है। इतनी व्यस्तता के बाद भी उन्होंने नर्मदा खंड के लोगों की सेवा को भुलाया नहीं है।
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