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श्री श्री 1008 संत रामरतन दास महाराज की 60वीं बरसी पर करह धाम पर उमड़ा आस्था का जनसैलाब

प्रबल प्रताप सिंह मावई
चरण सेवक एवं पूर्व उपाध्यक्ष नपा मुरैना म.प्र.

शैलेन्द्र श्रीवास उपासना डेस्क, मुरैना म.प्र. : “करह” की झाड़ी एक ऐसा अद्भुत स्थान है। यह स्थान मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में नूराबाद तहसील नूराबाद से पश्चिम की ओर तीन मील जंगल में है। दूर-दूर तक सघन वन श्रेणी एवं छोटी-छोटी पर्वत मालाएं चली गई है। यह विंन्ध्य पर्वत का ही एक भाग है। करह के आसपास दो-दो मील तक गांव नहीं है। बीच में बारह महीने बहने वाली छोटी सी सांक नदी पड़ती है। करहधाम पहाडिय़ों की हरी भरी गोद में है। मुख्य आश्रम बरगद और नीम की सघन छाया से शीतल रहता है, दो एक झरने भी हैं, वह प्राकृितक स्थल होने के कारण ही आकर्षक एवं आदणीय नहीं है वह सिद्ध स्थल हे, तपोभूमि है, वहां बड़े-बड़े सिद्ध हो गए, उनकी अगाध साधना की वह साक्षी देता है, ईश्वर के साक्षात्कार करने की वह प्रयोगशाला है।

“करहधाम” एक ऐसे संत की तपो भूमि है जिसकी चमत्कारिक गाथाओं की प्रसिद्ध चम्बलांचल ही नहीं देश के कौने-कौने तक फैली हुई है। जहां हर साल हजारों की संख्या में लोग दर्शन करने के लिए सात दिन तक चलने वाले श्री सियपिय मिलन के आध्यात्मिक समारोह में आते हैं। सात दिन तक चलने वाले श्री सियपिय मिलन के ६०वें विशाल आध्यात्मिक समारोह के विशाल भण्डारे में भक्तों ने भण्डारे में प्रसादी ग्रहण की।

श्री श्री 1008 संत रामरतन दास महाराज की इस तपोभूमि पर भारत वर्ष में इतना रामनाम के नाम का इतना जप कहीं नहीं जपा गया जितना करह की इस तपोभूमि पर जपा गया। यही कारण है कि सदियों से आज तक यहां 24 घंटे रामायण का पाठ, हनुमान चालीसा, हरे-राम, हरे-कृष्ण, सीताराम व रामधुन बदस्तुर जारी है। संत रामरतन दास महाराज की इस वर्ष ६०वीं बरसी है। इसी बजह से यहां हर साल सियपिय मिलन महोत्सव का आयोजन हर साल होता चला आ रहा है।

कढ़ाह से “करह” पड़ा तपोभूमि का नाम
सिद्ध स्थल पर सदियों पहले सैकड़ों की संख्या में गाएं पली थी, खूब दूध होता था एक कढ़ाह चढ़ा रहता है उसमें दिन भर दूध ओंटता था जा कोइ्र साधु ब्राह्मण या कोई भी भूखा-प्यासा आता उसे उसी क ढ़ाह से दूध निकाल कर पिला देते थे, सारे दिन यही क्रम चलता था। दूध का कढ़ाह इतना प्रसिद्ध हुआ कि लोग बाबा के आश्रम को ही “कढ़ाह” कहकर पुकारने लगे। धीरे-धीरे वही “कढ़ाह” “करह” बनकर आज तक पुकारा जाता है। सर्पराज ने भी सुनीं है रामायण यहां पर बैठकर करहधाम कई ऐसी विचित्र लीलाओं से भरा हुआ पड़ा है कि लोग जब इनकी चमत्कारिक गाथाओं के किस्से सुनते हैं तो हैरत में पड़ जात हैं। ऐसी ही एक विचित्र लीला के बारे में लोग बताते हैं कि कोई भक्त जब यहां रामायण सुना रहा था तो विशालकाए काला भुजंग सर्प आसन लगाकर सामने बैठ गया। जिससे कथावाचक डर गए । बाबा रतन दास जी महाराज ने कथावाचक से कहा कि डरो मत यह सब प्रभू की माया है। इतना कहते ही, सर्पराज कथासुन वापस अपनी वामी में चला गया।

भण्डारे में डेढ़ सौ गांव के लोग करते हैं सहयोग
सियपिय मिलन महोत्सव के इस विशाल भण्डारे में अंचल के डेढ़ सौ गांवों के लोग तन-मन-धन से सहयोग करते हैं। जिसमें सभी धम्र के लोग शामिल हैं। बाबा पटियावाले की शिष्या श्री बाई महाराज दे रहीं 73 वर्षों से करहधाम में भक्तों को आशीर्वाद 73 सालों से करहधाम आश्रम में साधू बनकर सेवा कर रहीं महाराज कृष्णदास जी आज करहधाम की मुख्य सर्वेसर्वा हैं, जिनकी उम्र 9६ साल हैं, जिनके दर्शन करने व आशीर्वाद लेने के लिए हर दिन सैकड़ों की संख्या में भक्तजन यहां आते हैं। चंबलांचल में आस्था की इस तपोभमि पर सभी भक्तजनों को श्री सीताराम, श्रीरामधुन एवं रामायण पाठ में शामिल होने का सुखद अनुभव पाए एवं धर्म लाभ लें, बाबा पटिया वाले के आशीर्वाद से सियपिय मिलन समारोह का भंण्डारा यूही निरंतर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी जारी है ।

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