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१६ दिन रहेगा श्राद्ध पक्ष, तर्पण से मिलेगा कई गुना फल – प. सोमेश्वर जोशी

ज्योतिष एवं कर्मकांडमार्ग के अनुसार , ऋषि और पितृ ऋण तीनो ऋण चुकाने वाला पक्ष २७ सितम्बर रविवार से प्रारम्भ हो कर १२ अक्टूबर को सोमवती अमावस्या के साथ १६ दिन बाद समाप्त होगा आश्विन कृष्णपक्ष (महालय) तथा कनागत नाम से जाने जाने वाले इस पक्ष को कन्या राशि गत सूर्य में श्रेष्ठ मना जाता हे जो की इस बार वर्षो बाद बन रहे है। यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे सभी धर्म के लोग मानते है।

ये हे दुर्लभ योग जो शास्त्रो के अनुसार श्राद्ध और तर्पण का देंगे अनंत गुना फल

प. सोमेश्वर जोशी ने बताया की ज्योतिष में पितरो का कारक माना जाता हे सूर्य तथा (ननिहाल) पक्ष का कारक माना जाता हे राहु ये दोनों जब साथ में कुंडली में जब चतुर्थ तथा दशम भाव बैठते हे जिससे एक महत्व पूर्ण दोष उत्पन्न होता है। जिसे पितृ दोष के नाम से जाना जाता है। ज्योतिष इतिहास में शायद पहली बार ऐसा योग बना हो जिसमे श्राद्ध पक्ष में सूर्य, बुध, राहु उच्च कन्या राशि में एकसाथ हो जो इस योग में श्राद्ध,तर्पण करेगा उसे यह योग कई गुना शुभ फल देगा

ज्योतिर्विद् पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार, इस बार श्राद्धपक्ष की शुरूआत के एक दिन बाद चंद्रग्रहण होगा और सूर्य व राहु की युति होने से 16 दिन तक ग्रहण योग रहेगा। भारतीय समय के अनुसार, 28 सितंबर की सुबह चंद्रग्रहण का प्रारंभ सुबह 07.40 से होगा, जो 08.53 तक रहेगा।अप्रैल 2014 के बाद लगातार चौथा चन्द्र ग्रहण हे जिसका इतना असर होगा की २८ सितम्बर की रात्रि को दिखेगा ‘ब्लड मून’ हालांकि ये ग्रहण भारत में दिखाई न देने से जनसामान्य पर इसका कोई बुरा असर नहीं रहेगा। पहले भी बना था ऐसा योग 1977 में भी 28 सितंबर, मंगलवार को चंद्रग्रहण के साथ ही पितृ पक्ष की शुरूआत हुई थी, साथ ही उस समय सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्यग्रहण का योग भी बना था। 19 साल बाद श्राद्ध पक्ष में सूर्य व राहु की युति से गजछाया योग बन रहा है। इसके पहले 1996 में यह योग बना था। ऐसे योग में पितृकर्म (श्राद्ध, तर्पण, पिंडदान) करने से उसका अनंत गुना अधिक फल प्राप्त होता है। इस योग में पितरों के निमित्त श्राद्ध आदि करने से वे पूर्णतः तृप्त होंगे व श्राद्ध करने वाले को धन-धान्य, पुत्र-पौत्र, सुख-संपत्ति आदि का सुख प्राप्त होगा। इसमें तर्पण श्राद्ध करना उत्तम फल दायक रहेगा इसी दिन अनंत चतुदर्शी भी होने से योग्य विद्वान् पंडित से विशेष पूजन,तर्पण, पितृशांति करवाये।

कब और कौन करे श्राद्ध

हर व्यक्ति को पूरी श्रद्धा के साथ किसी न किसी के लिए श्राद्ध करना चाहिए श्राद्ध मृतक की मृत्यु तिथि के दिन करना चाहिए ना की उसके अंतिम संस्कारो की तिथि को, जिस स्त्री के संतान ना हो और पति ना हो वह स्त्री अपने पति तथा बच्चो का श्राद्ध कर सकती हे गुरु, सन्यासियो का भी श्राद्ध शिष्यों द्वारा किया जाना चाहिए योग्य वैदिक पंडित से विधिवत श्राद्ध करने, करवाने से अवश्य श्रेष्ठ फल की प्राप्ति होगी

इन बातो का रखे ध्यान

  • श्राद्ध पूर्ण श्रद्धा के साथ करे
  • संध्या शिल, वैदिक ब्राह्मण को विषम १,३,५ की संख्या में भोजन कराये
  • श्राद्ध केवल मध्यान काल में करे सुबह या साय काल में नहीं
  • सफ़ेद पुष्प, सफ़ेद चन्दन के आलावा किसी भी सुगन्धित वास्तु या पुष्प, तुलसी का प्रयोग ना करे

यह होगा लाभ

  • पितरो की आत्मा प्रसन्न होगी आशीर्वाद प्राप्त होगा
  • पितृ ऋण, पितृदोष से मुक्ति मिलेगी
  • दान का फल मिलेगा
  • प्रगति,सफलता, गृहक्लेश, विवाह ना होना, शारीरिकसमस्या,दुर्घटनाओ, सुख में कमी, संतान ना होना,प्रेत आत्मा से परेशानी आदि से श्राद्ध मुक्ति दिलाएगा

यह करे विशेष

  • देव,ऋषि, पितरो का तर्पण करे
  • पितृसूक्त का पाठ करे
  • गाय,कौआ, चीटी, भिखारी, अतिथि को कुछ भोज्य सामग्रीदेने तथा दोनों हाथ उठकर उस तिथि पर हाथ उठा करप्रार्थना करने से  भी श्राद्ध प्रक्रिया पूरी मानी जाती है।
  • पीपल का वृक्ष लगाने,जल चढ़ाने, रक्तदान करने , प्याऊ खुलवाने से भी इस समय लाभ होगा

ज्योतिर्विद् प. सोमेश्वर जोशी

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