सवंत, चैत्र नवरात्रि, सबसे महत्वपूर्ण -प. सोमेश्वर जोशी

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सनातन धर्म की मान्यताओ अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा को नवविक्रम संवत 2074 का प्रारम्भ होता, जो की इस वर्ष 28 मार्च से प्राम्भ होगा यह अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण होता है। सवंत अर्थात वर्ष का इस दिन प्राम्भ होता है। साथ ही नवरात्रि, गौतम जयंती, गुड़ीपड़वा इसे एक बड़ा त्यौहार बनाते है। सवंत २०७४ के राजा मंगल,प्रधानमंत्री देव गुरु बृहस्पति, वर्षापति बुध, कृषिपति सूर्य, धनपति शनि और रक्षा विभाग चंद्र के पास होगा।
साधारण संवत का फल साधारण ही होगा वर्षा सामान्य सुरक्षा में वृद्धि तथा औद्योगिक विकास कर साथ विश्व में देश को सफलता मिलेगी। सवंत का महत्व इस लिए भी होता है क्योकि प्रतिपदा को जो सवंत होता है वही वर्ष पर्यन्त संकल्पादि में बोला जाता है सवंत से ही वर्ष प्राम्भ होता है इस दिन नवपंचांग प्राम्भ होता हे एवम विभिन्न राशियों का वर्षफल बनाया जाता है।
यह संवत इस लिए भी अधिक चर्चा में है क्योकि इससवत का प्राम्भ 28 से हो या 29 से?
संवत के नाम निर्धारण अलग अलग पंचांगों में अलग अलग किया गया हे कही साधारण दिया है तो कही विरोधकृत और कही दोनों दिए है ऐसी स्थिति में जनसाधारण में असमंजस उत्पन्न हो रहा है। इस विषय पर मालवा के सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद पंडित सोमेश्वर जोशी ने बताया की प्रतिपदा 28 मार्च को प्रातः 8:26 मिनिट से प्राम्भ होगी जो सूर्योदय पूर्व तक रहेगी इस समस्या का संमाधान प्रामाणिक रूप से धर्मसिधु में दिया है, इसके अनुसार जब प्रतिपदा क्षय होती है उसके एक दिन पूर्व अर्थात 28 मंगलवार को प्रतिपदा मानकर घटस्थापना करनी चाहिये इस कारण संवत्सर भी 29 को साधारण संकल्पादि में साधारण तथा उसके बाद सवंत विरोधकृत रहेगा
चेतीचंद झूलेलाल जयंती 29 को होने से शासकीय आवकाश 29 को रहेगा घटस्थापना के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त माना गया है जो 12:02 मिनिट से 12:51 मिनिट तक रहेगा इस दिन सर्वार्थ सीधी योग भी रहेगा।
क्यों है इतनी महत्वपूर्ण
चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि होती है मौसम व् ऋतू परिवर्तन भी लगभग इसी समय होता है ऐसे समय में यदि शक्ति की व्रत रखकर उपासना की जाये तो पुरे वर्ष में आनेवाले संकट से छुटकारा तथा उत्तम स्वास्थ्य का लाभ मिलता है इसी लिए इस दान मिश्री और कालीमिर्ची भी बाटी जाती है
इस दिन है, ये तिथियां
28 मार्च – एकम
29 मार्च – द्वितीय, चेतीचंद झूलेलाल जयंती, विरोकृत संवत्सर प्रारम्भ
30 मार्च – तृतीया गणगोर
31 मार्च – चतुर्थी
1 अप्रैल – पंचमी
2 अप्रैल – षष्ठी
3 अप्रैल – सप्तमी
4 अप्रैल – अष्टमी-नवमी
5 अप्रैल – श्री राम जयंती रामनवमी
ऐसे मनाये नववर्ष
- प्रातः सूर्य को अर्घ दे सूर्य नमस्कार करे
- गणपति,गुरु, इष्ट, घटस्थापना कर शक्ति पूजन करे
- मिश्री, कालीमिर्ची, नीम भोग लगा कर बाटे
- शुभकामनाये कर, सभी को शुभ सन्देश दे
- नवीन वस्त्र धारण कर, दीपक लगाकर प्रकाश करे
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