अकाल के कारण बदलना पड़ा था 1897 में सिंहस्थ कुंभ उज्जैन का आयोजन स्थल
उज्जैन: मध्य प्रदेश उज्जैन में इस साल होने जा रहे सिंहस्थ से पहले भी मध्य प्रदेश में सिंहस्थ का आयोजन हो चुका है। हालांकि, 1897 में अकाल के कारण सिंहस्थ का आयोजन महाकाल की नगरी में न होकर महिदपुर में किया गया था।
118 वर्ष पहले वर्ष 1897 में उज्जैन में भीषण अकाल पड़ा था। अन्न और जल के अभाव में लोग सिंहस्थ वर्ष में पलायन करने लगे थे। क्षिप्रा नदी में पानी सूख गया था, जिसके कारण स्नान की समस्या आ गयी थी। साधुओं के लिये अन्न-जल के प्रबंध की समस्या भी थी।
ऐसी स्थिति में तत्कालीन रियासत सिंहस्थ की व्यवस्था करने में असहाय महसूस करने लगी थी। सिंधिया शासन ने इंदौर के होल्कर राजा के माध्यम से साधुओं को यह संदेश दिया कि अकाल के कारण उनके लिये उज्जैन में सिंहस्थ का आयोजन करना कठिन होगा।
तत्कालीन होलकर नरेश ने इस मुश्किल समय में मदद का हाथ बढ़ाया और सिंहस्थ को उज्जैन से 60 किलोमीटर दूर स्थित महिदपुर में आयोजित करने का निर्णय लिया गया।
दरअसल, महिदपुर के गंगवाड़ी क्षेत्र में क्षिप्रा की एक उगाल अर्थात पानी का एक बड़ा हिस्सा था, जहां पर साधुओं के लिए सिंहस्थ का आयोजन किया गया। आयोजन करते हुए होल्कर नरेश ने साधुओं के स्नान की व्यवस्था गंगवाड़ी में करने के साथ ही यहां आने वाली जमातों के लिये सभी जरूरी प्रबंध किये।
उस समय सिंहस्थ के इतिहास में यह पहली घटना थी, जब सिंहस्थ के दौरान रामघाट और समूचा मेला क्षेत्र सूना रहा। हालांकि, इसके बाद सन् 1919 में अगला सिंहस्थ परम्परागत रूप से उज्जैन में ही हुआ।
साभार: न्यूज़ १८
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