चार महायोग में मनेगी गणेश चतुर्थी – पं. सोमेश्वर जोशी
इस वर्ष 17 सितम्बर गुरूवार भाद्रपद शुक्लपक्ष चतुर्थी को गणेश चतुर्थी पुरे देश में मनाई जाएगी ज्योतिर्विद एवं कर्मकांडी पं. सोमेश्वर जोशी के अनुसार ऐसे चार योग हे जो कई वर्षो बाद बने हे
19 वर्षो बाद कन्या की संक्रांति में मनेगी गणेश चतुर्थी, 31 अगस्त 2003 के बाद 12 वर्षो बाद गणेश चतुर्थी बृहस्पति, सूर्य सिंह संक्रांति में आई हे जो अगले 12 साल बाद 04 सितम्बर 2027 को आएगी
रवि योग जो सूर्योदय से रात्रि 01:32 मिनिट तक रहेगा
ऐेन्द्र योग जो सूर्योदय पूर्व से सायः 06:23 मिनिट तक रहेगा
सिंह में बृहस्पति, गुरुवार, विद्या और बुद्दि के देव गणेश जी की चतुर्थी ऐसे दुर्लभ योग कई वर्षो बाद आते हे जिसमे विद्या, साधना के करने से उत्तम सिद्दी प्रदान करेगा
पं. सोमेश्वर जोशी ने जानकारी देते हुए बताया की गणेश चतुर्थी सूर्योदय पूर्व से रात्रि 10:20 मिनिट तक रहेगी तथा स्वाति नक्षत्र सूर्योदय से रात्रि 01:32 तक रहेगी इसी दिन सूर्य दोपहर 12:29 पर कन्या राशि में संकान्ति करेंगे सूर्य और बुध मिल के बुध आदित्य योग बनायेगे श्रेष्ठ फलदायी रहेगी जिससे व्यापारियों को बाजार में वृद्धि करवायेगा तथा मंगल कार्यो का आरम्भ करवायेगे परन्तु ध्यान रहे हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी गणेश चतुर्थी पर भद्रा का साया रहेगा भद्रा प्रातः 09:10 से रात्रि 10:20 तक रहेगी गणेश चतुर्दशी को भी भद्रा रहेगी जो दोपहर 12:07 से रात्रि 10:14 मिनट तक रहेगी हो सके तो भद्रा के समय को छोड़कर कार्य करे व् अधिक आवश्यकता हो तो भद्रा का मुख पूछ छोड़कर शुभ मुहूर्त में कार्य संपन्न किये जा सकते हे 18 सितम्बर को ऋषि पंचमी को सर्वार्थ सिद्दी योग भी रहेगा
गणेश प्रतिमा बनाने का शस्त्रीय विधान:
प. जोशी के अनुसार मंगलमूर्ति की मूर्ति शास्त्रीय विधिविधान से बनायीं जानी चाहिए जिसमे मिटटी शुद्ध एवं पवित्र स्थान से ली गई हो मिटटी में गोबर, गंगाजल, तीर्थो का जल, तीर्थो की मिटटी, पंचगव्य, पंचामृत, दूर्वा के आलावा ५६ प्रकार की ओषधियों भी मिलायी जानि चाहिए मिटटी गूथने से लेकर,गणेश आकर देने तक वैदिक मंत्रो का उच्चारण करना चाहिए मंगल मूर्ति को रंग देनेके लिए सिंदूर, काजल, अबीर, गुलाल, हल्दी, भस्म का प्रयोग करे किसी केमिकल या कलर का उपयोग वर्जित हे गणेश प्रतिमा की स्तापना, प्राण प्रतिष्ठा विद्वान वैदिक ब्राह्मण पंडित से करवानी चाहिए सुबह शाम षोडशोपचार पूजन कर आरती करना चाहिए
इन बातो का रखे ध्यान:
- गणेश जी का रंग श्वेत हे इस लिए इसी सिंदूरी या श्वेत रंग की प्रतिमा बनाये
- दक्षिणावर्त सूंड वाले गणेश बनाये
- गणेश जी को तुलसी न चढ़ाये
- इष्ट, साधना, प्रयोग अनुष्ठान के अनुसार गणेश प्रतिमा बनाये
ऐसे पूरी करेंगे गणेश जी कामनाये:
- सभी मनोकामना पूर्ति के लिए —२१ विशेष नाम मंत्रो के साथ मोदक चढ़ाने से हज़ार गणपति नामार्चन का फल मिलता हे
- अभीष्ट प्राप्ति के लिए — गणपति अथर्वशीर्ष का पाठ करे
- बुद्दि प्राप्ति के लिए — २१ बार गणपति नाम से अर्चन करे
- रोग मुक्ति के लिए — गायत्री गणपति के विशेष अनुष्ठान करे या करवाये
- व्यापर वृद्धि के लिए — लक्ष्मी गणपति यंत्र की स्थापना व् पूजन करे
- लक्ष्मी प्राप्ति के लिए –सलक्षमी गणपति पूजन करे,बिल्वपत्र चढ़ाये
- शीग्र विवाह हेतु — ऋद्धि-सिद्दी सहित गणेश पूजन करे
- संतान प्राप्ति हेतु — बालगणपति का पूजन करे
- शत्रु निवारण के लिए –गणपति की २१ माला जपे
- नवग्रह पीड़ा निवारण हेतु — नवरत्न गणपति अर्चन पूजन करे
गणपति स्थापना, पूजन मुहूर्त:
शुभ प्रातः ०६:१७ – ०७:४८ साय: ०४:५४ – ०६:२५
अभिजीत दोपहर: ११:५६ – १२:४५
लाभ दोपहर: १२:२१ – 0१:५२
चर प्रातः १०:५० – १२:२१ साय: ०७:५४ – ०९:२३
अमृत रात्रि ०६:२५ – ०७:५४
वर्जित राहु काल दोपहर ०१:५२ – ०३:२३
चन्द्रोदय रात्रि : ०९:२०
विशेष: प्रातः ०९:१० से भद्रा होने के कारण प्रातः शुभ, अभिजीत अथवा सूर्यास्त के बाद शुभ मुहूर्त में गणेश स्थापना श्रेष्ठ फलदायी रहेगी विशेष अनुष्ठान, साधना हेतु आचार्य जी से परामर्श ले करे संपन्न करे
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